PURAANIC SUBJECT INDEX (From Mahaan to Mlechchha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Maadri, Maadhava, Maadhavi etc. are given here. मात्रा विष्णुधर्मोत्तर १.६३.४९(मात्रा की निरुक्ति : भय से त्राण करने वाली), स्कन्द १.२.५.१०९(मात्र: ब्राह्मणों के ८ भेदों में से एक, लक्षण), लक्ष्मीनारायण १.५३३.१२०(शब्दादि मात्राओं के गजवक्त्र बनने का उल्लेख ), द्र. तन्मात्रा maatraa/ matra
मात्सर्य वराह १४८.४(नारायण देव में मात्सर्य का अभाव )
मात्स्य द्र. मत्स्य
मादन द्र. गन्धमादन
माद्री देवीभागवत ४.२२.४०(धृति का अंश), भागवत ९.२२.२८(पाण्डु व माद्री के पुत्रों नकुल व सहदेव का उल्लेख), १०.६१.१५(कृष्ण व माद्री/लक्ष्मणा के पुत्रों के नाम), मत्स्य ४५.१(वृष्णि की २ पत्नियों में से एक, युधाजित् आदि ५ पुत्रों के नाम), ४६.१०(पाण्डु - पत्नी माद्री से अश्विनौ के अंशों नकुल व सहदेव के जन्म का उल्लेख), ४७.१४(कृष्ण की पत्नियों में से एक), ५०.५५(सहदेव - पत्नी, सुहोत्र - माता), वायु ९६.१७/२.३४.१७(वृष्णि की २ भार्याओं में से एक, युधाजित् आदि पुत्रों के नाम), स्कन्द ४.२.६५.९(माद्रीश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य), हरिवंश १.३४.२(क्रोष्टा - भार्या, युधाजित् आदि पुत्रों की माता), कथासरित् १६.३.३२(युवराज तारावलोक को माद्री के गर्भ से जुडवां पुत्रों की प्राप्ति, पुत्रों का पितामह द्वारा राम, लक्ष्मण नामकरण ) maadree/ madri
माधव गरुड ३.२९.४१(मुख प्रक्षालन काल में माधव के स्मरण का निर्देश), गर्ग १०.६१.२४(माधवाचार्य : ब्रह्मा के अंश), देवीभागवत ७.३०.६८(माधव वन में सुगन्धा देवी के वास का उल्लेख), नारद १.६६.८७(माधव की शक्ति तुष्टि का उल्लेख), २.५६.३(पुरुषोत्तम क्षेत्र में श्वेत माधव व मत्स्य माधव के दर्शन की महिमा), पद्म १.७२(मधु द्वारा हर रूप धारण कर विष्णु से युद्ध, विष्णु/माधव द्वारा मधु का वध), ५.९१.१३(मधुसूदन को प्रिय मास का माधव नाम), ५.९१(नारद द्वारा माधव मास के माहात्म्य का कथन), ५.९८(माधव मास में विष्णु पूजा की विधि – तुलसी का महत्त्व), ६.३४.२५(माधव द्वारा जाह्नवी को पाप निवृत्ति हेतु त्रिस्पृशा एकादशी व्रत के माहात्म्य एवं विधान का कथन), ६.१३२.६(चातक द्वारा माधव की अभीप्सा का उल्लेख), ६.१३३(श्री शैल में तीर्थ का नाम), ६.१८३(माधव ब्राह्मण द्वारा यज्ञ में अज की बलि की चेष्टा, अज द्वारा स्वयं के पूर्व जन्म के वृत्तान्त का कथन, गीता के नवम अध्याय के माहात्म्य का कथन), ७.५+ (राजा विक्रम व हारावती - पुत्र, चन्द्रकला के दर्शन, प्लक्ष द्वीप में सुलोचना की प्राप्ति, भोगों से विरति पर मोक्ष की प्राप्ति), ब्रह्म १.५६(श्वेत राजा द्वारा स्थापित श्वेत माधव), ब्रह्मवैवर्त्त १.१९.३३(माधव से आग्नेयी दिशा में रक्षा की प्रार्थना), ३.३१.३९(माधव से लोमों की रक्षा की प्रार्थना), ३.३१.४५(माधव से स्वप्न व जागरण में रक्षा की प्रार्थना), ४.१२.१९(माधव से कर्ण, कण्ठ व कपाल की रक्षा की प्रार्थना), भविष्य ३.४.८.१०(द्विज, मध्वाचार्य - पिता), ३.४.१७.६०(माधव ब्राह्मण का जन्मान्तर में ध्रुव बनना), ३.४.२२.१६, २१(मुकुन्द - शिष्य, जन्मान्तर में वैजवाक्), भागवत ६.८.२१(माधव से सायंकाल में रक्षा की प्रार्थना - देवोऽपराह्णे मधुहोग्रधन्वा सायं त्रिधामावतु माधवो माम्), ९.२३.३०(वीतिहोत्र - पुत्र मधु के वंश की माधव/वृष्णि संज्ञा), १०.६.२५ (माधव से शयन समय में रक्षा की प्रार्थना), १२.११.३४(माधव/वैशाख मास में अर्यमा सूर्य के रथ पर स्थित गणों के नाम), मत्स्य ९.१२(औत्तम मनु के मास संज्ञाओं वाले १० पुत्रों में से एक), १३.३७(माधव वन में देवी की सुगन्धा नाम से स्थिति का उल्लेख), २२.९(प्रयाग में वटेश्वर की माधव सहित स्थिति का उल्लेख), ६१.२२(वसन्त ऋतु की माधव संज्ञा), २४८.५८(माधवीय स्तोत्र के अन्तर्गत पृथिवी द्वारा यज्ञवराह की स्तुति, माधवीय स्तोत्र का महत्त्व), २६०.२२ (शिवनारायण की प्रतिमा में वामार्ध में माधव की स्थिति का उल्लेख), २८५.१६(विश्वचक्र के वासुदेव में स्थित होने तथा विश्वचक्र के मध्य माधव की स्थिति का उल्लेख), वराह १.२५(माधव से कटि की रक्षा की प्रार्थना - माधवो मे कटिं पातु गोविन्दो गुह्यमेव च), ८८.३(क्रौञ्च द्वीप के वर्षों में से एक, अपर नाम कुशल), वामन ९०.३(केदार तीर्थ में विष्णु का माधव नाम), वायु ५२.५(मधु - माधव मास के सूर्य रथ की स्थिति का कथन), स्कन्द २.२.३७.५६(भगवत्कृपा से श्वेत राजा की श्वेतमाधव नाम से प्रसिद्धि), ४.२.६१.२१(माधव नाम से काशी के तीर्थों का माहात्म्य), ४.२.६१.८४(विष्णु की वैकुण्ठ माधव, वीर माधव, काल माधव मूर्तियों का संक्षिप्त माहात्म्य), ४.२.६१.२२३(माधव की मूर्ति के लक्षण व महिमा), ४.२.८४.२७(शङ्ख माधव तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.३.१४९.९(भिन्न - भिन्न मासों में भिन्न - भिन्न नामों से देवाराधन के अन्तर्गत माघ मास में माधव, वैशाख में मधुहन्ता नाम से अर्चन), ७.१.२९९(शुक्ल एकादशी को माधव का माहात्म्य), हरिवंश २.३८.२(यदु व नागकन्या - पुत्र, यदु के राज्य का पालन), लक्ष्मीनारायण १.२६५.९(माधव की पत्नी नित्या का उल्लेख), २.६.१२(माधव की निरुक्ति), ३.६४.१३ (द्वादशी तिथि को माधव पूजा से मधु व रस प्राप्ति का उल्लेख), ४.४५.१३(कच्छ प्रदेश के राजा माधवराय द्वारा श्रीहरि को अपने नगर भुजङ्ग नगर ले जाना, श्रीहरि द्वारा राजा माधवराय के परिवार को शबलाश्वों व हर्यश्वों से दीक्षा प्राप्त करने का निर्देश), कथासरित् ५.१.८१(रत्नपुर नगर वासी शिव और माधव नामक दो धूर्त्तों की कथा), ६.१.८७(राजा धर्मदत्त की पत्नी नागश्री का पूर्वजन्म में माधव नामक ब्राह्मण की दासी होने का उल्लेख ), द्र. बिन्दुमाधव maadhava/ madhava
माधवी गर्ग ४.१९.१६(यमुना सहस्रनामों में से एक), देवीभागवत ७.१९.५१ (हरिश्चन्द्र - भार्या, रोहित - माता), ९.१७.१(धर्मध्वज - भार्या, तुलसी को जन्म), नारद १.६६.११७(पिनाकी की शक्ति माधवी का उल्लेख), ब्रह्मवैवर्त्त २.१५(धर्मध्वज - पत्नी, तुलसी को जन्म देना), ४.९४(राधा - सखी माधवी द्वारा राधा को सांत्वना), भागवत १०.२.१२(यशोदा के गर्भ से जन्म लेने वाली योगमाया के नामों में से एक), १०.८४.१(सुभद्रा की माधवी संज्ञा), मत्स्य १३.३१(श्रीशैल तीर्थ में देवी का माधवी नाम से वास), २४८.५८(माधवीय स्तोत्र के अन्तर्गत पृथिवी द्वारा यज्ञवराह की स्तुति, माधवीय स्तोत्र का महत्त्व), वामन ५७.९३(सप्तसारस्वत तीर्थ द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त गण), ५७.९६(बदरिकाश्रम द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त गण), वायु ४७.७१(माध्वी : रुद्राजया नामक १२ सरोवरों से नि:सृत २ नदियों में से एक), ९१.१०३(माधवी का दृषद्वती से साम्य ?), विष्णु १.४.२०(पृथिवी का नाम), स्कन्द ४.१.२९.१३४(गङ्गा सहस्रनामों में से एक), ४.२.७४.७४(पुष्पवटु - सुता, पूर्व जन्म में भेकी, ओंकारेश्वर लिङ्ग की पूजा व माधवीश्वर लिङ्ग में लीन होना), ५.३.१९८.६९(श्रीशैल क्षेत्र में देवी का माधवी नाम से वास), ६.८१(गरुड के मित्र ब्राह्मण की कन्या, पति अन्वेषण के संदर्भ में विष्णु से मिलन, लक्ष्मी द्वारा अश्वमुखी होने का शाप, जन्मान्तर में कृष्ण - भगिनी सुभद्रा बनना), योगवासिष्ठ ५.३४.८७(पुष्पमयता के माधवी शक्ति होने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण १.२६५.९(मधुसूदन की पत्नी माधवी का उल्लेख), १.४९२.३(लक्ष्मी की छाया रूप विप्र - कन्या माधवी द्वारा गरुड पर आरूढ होकर पति की खोज, विष्णु का पति रूप में वरण, लक्ष्मी के शाप से वृद्धा शाण्डिली बनना, ज्ञानवृद्धा आदि गुण), १.४९३.२(विष्णु के वाम व दक्ष पाद सेवन पर लक्ष्मी से विवाद, क्रमशः अश्वमुखी व गजमुखी बनना), १.४९८.५१(विप्रों के शाप से रानी दमयन्ती का शिला बनना, माधवी द्वारा शिला के उद्धार का कथन), १.५०१.७१(शाण्डिल्य - कन्या माधवी द्वारा तृतीया व्रत से जैमिनि को पति रूप में प्राप्त करने का वृत्तान्त), ३.३६.३०(मधुभक्ष दैत्य के नाशार्थ मधुनारायण तथा माधवीश्री के प्राकट्य का वृत्तान्त), ४.२६.५७(माधवी - पति कृष्ण की शरण से काम से मुक्ति का उल्लेख), ४.१०१.९७(कृष्ण की पत्नियों में से एक, मधुकृत् व मधुकी युगल की माता ) maadhavee/ madhavi |