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पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(From Paksha to Pitara  )

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar

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Paksha - Panchami  ( words like Paksha / side, Pakshee / Pakshi / bird, Panchachuudaa, Panchajana, Panchanada, Panchamee / Panchami / 5th day etc. )

Panchamudraa - Patanga ( Pancharaatra, Panchashikha, Panchaagni, Panchaala, Patanga etc. )

Patanjali - Pada ( Patanjali, Pataakaa / flag, Pati / husband, Pativrataa / chaste woman, Patnee / Patni / wife, Patnivrataa / chaste man, Patra / leaf, Pada / level etc.)

Padma - Padmabhuu (  Padma / lotus, Padmanaabha etc.)

Padmamaalini - Pannaga ( Padmaraaga, Padmaa, Padmaavati, Padminee / Padmini, Panasa etc. )

Pannama - Parashunaabha  ( Pampaa, Payah / juice, Para, Paramaartha, Parameshthi, Parashu etc. )

Parashuraama - Paraashara( Parashuraama, Paraa / higher, Paraavasu, Paraashara etc)

Parikampa - Parnaashaa  ( Parigha, Parimala, Parivaha, Pareekshita / Parikshita, Parjanya, Parna / leaf, Parnaashaa etc.)

Parnini - Pallava (  Parva / junctions, Parvata / mountain, Palaasha etc.)

Palli - Pashchima (Pavana / air, Pavamaana, Pavitra / pious, Pashu / animal, Pashupati, Pashupaala etc.)

Pahlava - Paatha (Pahlava, Paaka, Paakashaasana, Paakhanda, Paanchajanya, Paanchaala, Paatala, Paataliputra, Paatha etc.)

Paani - Paatra  (Paani / hand, Paanini, Paandava, Paandu, Pandura, Paandya, Paataala, Paataalaketu, Paatra / vessel etc. )

Paada - Paapa (Paada / foot / step, Paadukaa / sandals, Paapa / sin etc. )

 Paayasa - Paarvati ( Paara, Paarada / mercury, Paaramitaa, Paaraavata, Paarijaata, Paariyaatra, Paarvati / Parvati etc.)

Paarshva - Paasha (  Paarshnigraha, Paalaka, Paavaka / fire, Paasha / trap etc.)

Paashupata - Pichindila ( Paashupata, Paashaana / stone, Pinga, Pingala, Pingalaa, Pingaaksha etc.)

Pichu - Pitara ( Pinda, Pindaaraka, Pitara / manes etc. )

 

 

Puraanic contexts of words like Paara, Paarada / mercury, Paaramitaa, Paaraavata, Paarijaata, Paariyaatra, Paarvati / Parvati etc. are given here.

पायस स्कन्द ५.१.५४.२८( पायस से श्राद्ध करने के महत्त्व का कथन ), लक्ष्मीनारायण २.१५.२६( पायस से पितामह की तुष्टि होने का उल्लेख )

 

पायु गरुड ३.५.२५(पायु अभिमानी देवों के नाम), महाभारत शान्ति ३१७.३(पायु से प्राणों के उत्क्रमण पर मैत्र स्थान प्राप्ति का उल्लेख)

 

पार ब्रह्माण्ड ३.४.१.५७( मेरुसावर्णि मनु के १२ पुत्रों के गण का नाम ), भागवत ८.१३.१९( दक्षसावर्णि मनु के काल में पार आदि देवगण की स्थिति का उल्लेख ), ९.२१.२४( रुचिराश्व - पुत्र, पृथुसेन - पिता, वितथ वंश ), मत्स्य ४९.५४( सगर के ३ पुत्रों में से एक, पृथु - पिता, भरद्वाज वंश ), २०२.४( पारण : त्र्यार्षेयों में से एक ), मार्कण्डेय ६४.५/६१.५( पार ऋषि व पुञ्जिकस्थला अप्सरा से कलावती कन्या के जन्म का कथन ), वायु ९९.१७४/२.३७.१६९( पृथुषेण - पुत्र, नीप - पिता, वितथ वंश ), ९९.१७७/२.३७.१७२( सगर के ३ पुत्रों में से एक, वृष - पिता, वितथ/भरद्वाज वंश ), १००.६१/२.३८.६१( पार नामक देवगण के १२ नामों में से कुछ का उल्लेख ), विष्णु ३.२.२१( दक्षसावर्णि मनु के काल में पार आदि देवगण की स्थिति का उल्लेख ), ४.१९.३७( पृथुसेन - पुत्र, नील - पिता, वितथ वंश ), स्कन्द ५.३.७६( पारेश्वर तीर्थ का माहात्म्य : पराशर द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु तप ) paara

 

पारद गरुड २.३०.५२/२.४०.५२( मृतक के रेत:स्थान में पारद देने का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड १.२.१६.४८( भारत के उत्तर दिशा के जनपदों में से एक ), १.२.१८.५०( गङ्गा द्वारा भावित जनपदों में से एक ), २.३.४८.२६( सगर द्वारा पराजित जातियों में से एक ), २.३.६३.१३९( सगर से पराजित होने के पश्चात् वसिष्ठ द्वारा पारदों को मुक्तकेश बनाने का कथन ), मत्स्य ११४.४१( भारत के उत्तर दिशा के जनपदों में से एक ), १२१.४५( चक्षु नदी द्वारा प्लावित जनपदों में से एक ), १४४.५७( कल्कि अवतार द्वारा नष्ट किए गए जनपदों में से एक ), विष्णु ४.३.४७( सगर द्वारा पराजित करने पर वसिष्ठ द्वारा पारदों को श्मश्रुधारी करने का कथन ), शिव २.१.१२( पारदेश्वर लिङ्ग की बाण द्वारा पूजा ), ५.३८.३०( राजा बाहु के राज्य का हरण करने वाले राक्षसों के ५ गणों में से एक ), स्कन्द १.२.२९.८७( शिव द्वारा अग्नि में प्रदत्त वीर्य से पारद सरोवर बनने का उल्लेख ) paarada/ parada

 

पारमिता कथासरित् १२.५.२१८( दान पारमिता के संदर्भ में राजकुमार द्वारा तप से प्रजा के लिए कल्पवृक्ष बनने की कथा ), १२.५.२३७( शील पारमिता के संदर्भ में शुकों के राजा द्वारा मूर्ख शुक को शील के अभ्यास में प्रवृत्त करने की कथा ), १२.५.२६०( क्षमा पारमिता के संदर्भ में शुभनय मुनि द्वारा चोरों को राजा से क्षमा दिलाने की कथा ), १२.५.२७८( धैर्य पारमिता के संदर्भ में मालाधर नामक ब्राह्मण कुमार द्वारा धैर्यपूर्वक आकाश में उडने के यत्न का वृत्तान्त ), १२.५.२८४( ध्यान पारमिता के संदर्भ में वणिक् - पुत्र मलयमाली द्वारा स्वप्रेयसी के चित्र से संतुष्ट होने की कथा ), १२.५.३१९( प्रज्ञा पारमिता के संदर्भ में सिंह विक्रम चोर द्वारा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के यत्न का वृत्तान्त ) paaramitaa

 

पारवाल लक्ष्मीनारायण २.२४७.१०१( पारवाल शाक की निरुक्ति : संसाराब्धि से पार ले जाने वाला ),

 

पारसीक विष्णु २ .३.१८( भारत के पश्चिम में स्थित जनपदों में से एक ), कथासरित् १८.३.४( पारसीक नृप निर्मूक का उल्लेख )

 

पारा मत्स्य १३.४४( पारा तट पर देवी की सती? नाम से स्थिति का उल्लेख ), ११४.२४( पारियात्र पर्वत के आश्रित नदियों में से एक ), स्कन्द ५.३.१९८.८१( पारा तट पर उमा देवी की पापा नाम से स्थिति ) paaraa

 

पाराक लक्ष्मीनारायण १.२८३.२०( पाराक नामक मासोपवास व्रत की विधि का वर्णन ), १.२८३.३९( पाराक? के व्रतों में अनन्यतम होने का उल्लेख ), २.२३०.११(भगीरथ की कथा का पाराक राजर्षि की कथा से साम्य),

 

पारावत ब्रह्माण्ड १.२.३६.८( स्वारोचिष मन्वन्तर में वर्तमान पारावत देवगण के अन्तर्गत १२ देवों के नाम ), मत्स्य ६.३२( ताम्रा - कन्या गृध्री से उत्पन्न सन्तानों में से एक ), स्कन्द १.१.१८.५( देवों द्वारा अमरावती के त्याग करने के संदर्भ में वायु द्वारा पारावत का रूप धारण कर अमरावती के त्याग का उल्लेख ), १.२.२९.८३( अग्नि द्वारा पारावत रूप धारण कर शिव - पार्वती के गृह में प्रवेश का उल्लेख ), ४.२.७६.४६( पारावत के पूर्व जन्म का वृत्तान्त : पूर्व जन्म में नारायण विप्र ), ५.२.४५.४( पारावत दम्पत्ति द्वारा त्रिलोचन शिव की प्रदक्षिणा, जन्मान्तर में परिमलालय गन्धर्व व नागकन्या रत्नावली होना ), लक्ष्मीनारायण १.४७२.१( शिव मन्दिर का आश्रय लेने से पारावत दम्पत्ति का विद्याधर व नागकन्या बनने का वृत्तान्त ), २.२२३.८४( पारावत राष्ट~ के राजा पराङ्गव्रत द्वारा श्रीहरि का सत्कार ), कथासरित् १२.३.६०( पारावत नाग द्वारा प्राप्त दिव्य खड्ग का संदर्भ ) paaraavata/ paravata

 

पारिजात गर्ग १०.४( कृष्ण द्वारा पारिजात हरण की कथा ), देवीभागवत ९.४०.२०( इन्द्र द्वारा दुर्वासा - प्रदत्त पारिजात पुष्प को करि - मस्तक पर रखने पर करि का कायाकल्प होना, पारिजात के अपमान पर दुर्वासा द्वारा इन्द्र को नष्टश्री होने का शाप ), १२.१०.६१( पारिजात अटवी के मध्य हेमन्त ऋतु की स्थिति का उल्लेख ), ब्रह्म १.९४.२८( सत्यभामा के अनुरोध पर कृष्ण द्वारा पारिजात तरु को स्वर्ग से लाने का वर्णन ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.४.२८( रूप प्राप्ति हेतु विष्णु को पारिजात पुष्प प्रदान करने का निर्देश ), ३.२०.५२( दुर्वासा द्वारा इन्द्र को पारिजात पुष्प की महिमा का कथन, इन्द्र द्वारा पारिजात के तिरस्कार पर इन्द्र के भ्रष्टश्री होने का कथन ), ४.९४.५६( राधा के कृष्ण विरह में मूर्च्छित होने पर पारिजाता गोपी के उद्गार ), ब्रह्माण्ड २.३.७.१८१( पुलह व श्वेता के १० वीर वानर पुत्रों में से एक ), २.३.७.२३६( प्रधान वानरों में से एक ), ३.४.९.७०( समुद्र मन्थन से उत्पन्न रत्नों में से एक ), ३.४.३२.३६( हेमन्त ऋतु द्वारा पारिजात वाटिका की रक्षा का कथन ), वराह ८१.१( पारिजात वन की सीता पर्वत पर स्थिति ), वायु ३९.१०( महेन्द्र के पारिजात वन की शोभा का वर्णन ), विष्णु १.९.९५( समुद्र मन्थन से उत्पन्न रत्नों में से एक ), ५.३०( कृष्ण द्वारा स्वर्ग से पारिजात वृक्ष के हरण की कथा ), ५.३८.७( कृष्ण के मर्त्य लोक को त्यागने पर पारिजात वृक्ष के स्वर्ग जाने का उल्लेख ), स्कन्द ५.१.४४.९( पारिजात तरु : समुद्र मन्थन से प्राप्त १४ रत्नों में से एक ), हरिवंश २.६५.१४( पारिजात पुष्प की नारद द्वारा कृष्ण को व कृष्ण द्वारा रुक्मिणी को भेंट ), २.६७.५७( नारद द्वारा पारिजात पुष्प की उत्पत्ति तथा महिमा का वर्णन ), २.६८( कृष्ण द्वारा इन्द्र से पारिजात मांगने हेतु नारद का प्रेषण, शिव द्वारा मन्दार कन्दरा में पारिजात वृक्षों को उत्पन्न करने का उल्लेख ), २.६९.२४( नारद द्वारा इन्द्र को कृष्ण द्वारा पारिजात की मांग को बताना, इन्द्र द्वारा पृथिवी पर पारिजात को न भेजने के कारणों का कथन ), २.७३.९( कृष्ण द्वारा नन्दन वन में पारिजात का उत्पाटन कर गरुड पर रखना, कृष्ण व देवों का युद्ध ), २.७५.३८( अदिति द्वारा सत्यभामा के व्रत की पूर्ति हेतु पारिजात कृष्ण को देना ), २.७६.२६( पुण्यक व्रत की समाप्ति पर पारिजात का पुन: स्वर्गलोक में प्रेषण ), २.८६.५१+ ( मन्दराचल पर्वत पर शिव के पारिजात वन की महिमा, अन्धकासुर द्वारा पारिजात प्राप्त करने की चेष्टा ), लक्ष्मीनारायण १.४४१.९३( वृक्ष रूप धारी श्रीकृष्ण के दर्शन हेतु नारद के पारिजात बनने का उल्लेख ) paarijaata/ parijata

 

पारिप्लव पद्म ३.२६.१०( पारिप्लव तीर्थ का माहात्म्य : अग्निष्टोम आदि के फल की प्राप्ति ), विष्णु ४.२१.१२( सुखिबल - पुत्र, सुनय - पिता, परीक्षित् वंश ) paariplava/pariplava

 

पारियात्र ब्रह्म १.१६.४८( मेरु के दक्षिणोत्तर मर्यादा पर्वतों में से एक ), ब्रह्माण्ड २.३.७.२३३( प्रधान वानरों में से एक ), भागवत ९.१२.२( अनीह/अहोन - पुत्र, बल - पिता, कुश वंश ), वराह ८५.४( पारियात्र पर्वत से उद्भूत नदियों के नाम ),वामन ९०.११( पारियात्र पर्वत पर विष्णु का अपराजित नाम से वास ), वायु ८८.२०४/२.२६.२०३( अहीनगु - पुत्र, दल - पिता, कुश वंश ), विष्णु ४.४.१०६( रुरु - पुत्र, देवल - पिता, कुश वंश ), हरिवंश २.७३.९१( कृष्ण व इन्द्र के युद्ध में ऐरावत का पारियात्र पर गिरना, कृष्ण के भय से पारियात्र का धरणी में प्रवेश ), २.७४( कृष्ण द्वारा पारियात्र पर्वत पर विश्राम, पारियात्र को वर प्रदान, उपनाम शाणपाद ), द्र भूगोल paariyaatra/ pariyatra

 

पारुष्य अग्नि २५८.१( वाक् पारुष्य, दण्ड पारुष्य हेतु दण्ड विधान )

 

पार्थ गरुड ३.२८.२१(विष्णु, वायु, अनन्त व इन्द्र का अवतार), स्कन्द ७.३.३३( पार्थेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य : देवल - पत्नी पार्था द्वारा तप से पुत्र की प्राप्ति )

 

पार्वण द्र. श्राद्ध

 

पार्वती अग्नि १७८.२( चैत्र शुक्ल तृतीया को गौरी व शिव के विवाह का उल्लेख ; शिव - पार्वती न्यास ), कूर्म  १.११.११( कालाग्नि रुद्र से प्रकट स्त्री रूप का दक्ष - पुत्री होना ), १.१२.४२( पार्वती द्वारा हिमालय को अष्टभुज तथा विराट रूप दिखाना, हिमालय द्वारा सहस्रनाम द्वारा स्तुति ), २.३८.९( नारायण द्वारा शिव - भार्या का रूप धारण करके कामुक रूप धारी शिव के साथ विचरण, द्विजों द्वारा शिव के लिङ्ग के उत्पाटन का वृत्तान्त ), गरुड  ३.६.५७(पार्वती द्वारा हरि-स्तुति), गर्ग १.३.३७( पार्वती के भूतल पर जाम्बवती के रूप में अवतार लेने का उल्लेख ), देवीभागवत ३.१९.३४( पार्वती से पृष्ठ भाग की रक्षा की प्रार्थना ), नारद १.६६.१२७( दीर्घजिह्व की शक्ति पार्वती का उल्लेख ), पद्म १.४३+ ( पार्वती के जन्म की कथा, शिव से विवाह, वीरक को पुत्र रूप में स्वीकार करना, पार्वती के शरीर में रात्रि देवी के प्रवेश से कृष्ण वर्ण होना, तप, आडि दैत्य द्वारा पार्वती का रूप धारण कर शिव प्रासाद में प्रवेश पर पार्वती द्वारा द्वारपाल वीरक को शाप, सिंह की उत्पत्ति, रात्रि रूपी देह की कृष्णता का त्याग, कार्तिकेय की उत्पत्ति ), ६.१०.६( नारद द्वारा जालन्धर से शिव के रत्न रूप पार्वती के सौन्दर्य के विषय में कथन ), ६.१३.१६( गौरी के दर्शन हेतु जालन्धर द्वारा मायामय शिव का रूप धारण करने का वृत्तान्त, युद्ध में हत मायामय शिव को देखकर पार्वती का शोक ), ६.१६.४( पार्वती का तप हेतु गङ्गा को गमन, मायाशिव की परीक्षा हेतु सखी जया का प्रेषण, सत्य जानकर पार्वती का पद्म में छिपना ), ६.१०२.२३( जालन्धर द्वारा शिव रूप धारण कर पार्वती के दर्शन करने पर वीर्यपात्, पार्वती का अन्तर्धान होना ), ब्रह्म १.३४( पार्वती स्वयम्वर में देवों का आगमन, शिशु रूपी शिव का पार्वती की गोद में सोना, इन्द्र आदि द्वारा वज्र प्रहार ), २.११.९( कार्तिकेय की विषय भोग की लालसा की निवृत्ति के लिए देवपत्नी रूप धारण ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.६.८९( पुत्रहीना पार्वती को पुत्र प्राप्ति हेतु पुण्यक व्रत चीर्णन का परामर्श ), ३.७( पार्वती का पुण्यक व्रत के अन्त में पति को दक्षिणा रूप में पुरोहति को देने में संकोच का वृत्तान्त ), ३.८+ ( विष्णु का विप्र रूप में शिव - पार्वती के रतिगृह में आगमन तथा गणेश रूप धारण करने का वृत्तान्त ), ४.६.५१( पार्वती की विष्णु पर आसक्ति से जाम्बवान् - कन्याकृष्ण - पत्नी जाम्बवती के रूप में जन्म ), ४.६.१२५( कृष्ण द्वारा पार्वती को यशोदा व नन्द - पुत्री के रूप में जन्म लेकर कंस के दर्शन मात्र से पुन: शिव से मिलन का निर्देश ), ४.६.१४६( पार्वती का कृष्ण के रूप पर आकृष्ट होना, कृष्ण - पत्नी रूप में जन्म ), ४.१०९.१३( कृष्ण व रुक्मिणी के विवाह में पार्वती का हास्य ), ४.१२७( पार्वती की राधा तथा अन्य देवियों के साथ एकात्मता ), ब्रह्माण्ड २.३.४३( गणेश के दन्त का कर्तन करने के पश्चात् परशुराम द्वारा पार्वती की स्तुति ), भविष्य ४.२१.२७( ललिता तृतीया व्रत के संदर्भ में मास अनुसार पार्वती के नाम ), ४.२४.१२( रम्भा तृतीया व्रत के संदर्भ में मास अनुसार पार्वती के नाम ), ४.२९( विभिन्न मासों की तृतीया तिथियों को पार्वती के नाम व पूजा ), ४.६९.३९( पार्वती द्वारा गौ का रूप धारण, शिव रूपी व्याघ्र| से भय, मुनियों द्वारा गौ की रक्षा ), भागवत ४.१५.१७( अम्बिका द्वारा पृथु को शतचन्द्र असि देने का उल्लेख ), ६.१७.५( राजा चित्रकेतु द्वारा आलिङ्गन अवस्था में शिव - पार्वती के दर्शन व उपहास, पार्वती द्वारा चित्रकेतु को असुर बनने का शाप ), १०.८८.२३( वृक द्वारा पार्वती की प्राप्ति का यत्न, ब्रह्मचारी वेश धारी विष्णु की युक्ति से वृक की मृत्यु ), मत्स्य १५४.२९४( शिव की पति रूप में प्राप्ति हेतु पार्वती द्वारा तप ), १५५( शिव द्वारा पार्वती के कृष्ण वर्ण पर आक्षेप, पार्वती द्वारा तप ), १५८( शिव वीर्य रूपी सरोवर के जल के पान से पार्वती से स्कन्द की उत्पत्ति ), लिङ्ग १.९९.१३( अर्धनारीश्वर शिव द्वारा सृष्ट स्वपत्नी श्रद्धा का जन्मान्तरों में सती व पार्वती बनने का कथन ), १.१०२+ ( पार्वती के विवाह की कथा ), वामन ५७.१०३( पार्वती द्वारा स्कन्द को वस्त्र प्रदान का उल्लेख ), ५९( अन्धक द्वारा पार्वती की प्राप्ति की चेष्टा ), शिव २.३.०+ ( पार्वती का हिमालय से जन्म, शिव से विवाह ), २.३.१( पार्वती का हिमालय के घर जन्म, नारद उपदेश से शिव की प्राप्ति का उद्योग ), स्कन्द १.१.२०.६४( सुर कार्य की सिद्धि हेतु मेना द्वारा पार्वती को उत्पन्न करने के लिए गर्भ धारण का कथन ), १.१.२२( शिव की प्राप्ति हेतु पार्वती द्वारा तप, वटु रूप धारी शिव को पार्वती द्वारा अस्वीकार करना, शिव द्वारा पार्वती को दर्शन देना ), १.१.३५( पार्वती द्वारा शबरी रूप में शिव का मोहन ), १.२.२७.६०( काली नाम से पुकारने पर पार्वती द्वारा शिव की भर्त्सना ), १.३.१.३.२४( पार्वती द्वारा शिव के नेत्रत्रय मूंदना, शंकर की आज्ञा से कम्पा नदी तट पर तप ), १.३.१.४.२९( नदी जल के प्रवाह से रक्षा के लिए पार्वती द्वारा लिङ्ग का आलिङ्गन, लिङ्ग का अरुणाचल नामकरण ), १.३.२.१८( देह की कालिमा की निवृत्ति के लिए पार्वती द्वारा गौतम के उपदेश से तप करना ), १.३.२.१९( तपोरत पार्वती को महिषासुर द्वारा दूत का प्रेषण, दुर्गा की उत्पत्ति, महिष का वध ), २.४.१७( नारद से पार्वती के रूप की प्रशंसा सुनकर जालन्धर द्वारा पार्वती की प्राप्ति के लिए यत्न, शिव के पास राहु दूत का प्रेषण ), ४.२.९०.१८( काशी में पार्वतीश लिङ्ग का माहात्म्य ), ४.२.९६( काशी में व्यास को भिक्षा की उपलब्धि में पार्वती का बाधक बनना, व्यास के क्रोधित होने पर व्यास को काशी त्यागने का निर्देश ), ५.२.५५( पार्वती के क्रोध रूपी तेज से सिंह की उत्पत्ति, पार्वती का सिंह पर ममत्व, सिंह को महाकाल में सिंहेश्वर की उपासना का आदेश तथा स्ववाहन बनाना ), ५.३.१९८.८९( शिव सन्निधि में देवी के पार्वती नाम का उल्लेख ), ६.२५४( शिव से रुष्ट होने पर शिव द्वारा तोषणार्थ ताण्डव नृत्य, पार्वती द्वारा स्तुति ), ७.१.७.२७( कल्पों के अनुसार पार्वती के नाम ), ७.१.१६७.९( वैवस्वत मन्वन्तर में पार्वती के हिमालय गृह में जन्म व द्वितीय द्वापर में शिव से विवाह का कथन, पार्वती की देह से उत्पन्न भूतमाता का वर्णन ), हरिवंश  २.१०७( प्रद्युम्न द्वारा पार्वती की स्तुति ), लक्ष्मीनारायण १.१८०.५५( पार्वती के जन्म के समय नक्षत्रों की स्थिति ), १.३७९.१( मेना द्वारा पार्वती को पातिव्रत्य धर्म का उपदेश ), १.४५०( देवों के  आगमन से शिव - पार्वती की रति भङ्ग होने पर शिव वीर्य का भूमि पर पतन, पार्वती द्वारा देवों को व्यर्थ वीर्य होने का शाप, पुत्र प्राप्ति हेतु पार्वती द्वारा पुण्यक व्रत का चीर्णन, शिव को दक्षिणा में दान देने का वर्णन, गणेश पुत्र की प्राप्ति ), १.५०५.३०( तिलोत्तमा अप्सरा के रूप को देखकर शिव का पञ्चवक्त्र होना, नारद द्वारा पार्वती का प्रबोधन, पार्वती का शिव के नेत्रों में प्रवेश तथा तिलोत्तमा को कुरूप होने का शाप आदि ), १.३०५.५( ब्रह्मा द्वारा सनकादि हेतु जया, ललिता, पारवती आदि ४ शक्तियों की सृष्टि, सनकादि द्वारा अस्वीकार करने पर कन्याओं द्वारा त्रयोदशी व्रत से कृष्ण की पति रूप में प्राप्ति ), १.३२८.७२( जालन्धर द्वारा रुद्र का रूप धारण कर पार्वती के प्रति गमन, वीर्य मोचन, पार्वती का अदृश्य होना, पार्वती के निर्देश पर विष्णु द्वारा जालन्धर - पत्नी वृन्दा के सतीत्व को भङ्ग करना ), १.३८५.३०(पार्वती का कार्य), कथासरित् ४.१.३३( चण्डमहासेन की पुत्री व उदयन - भार्या वासवदत्ता के पार्वती का अंश होने का उल्लेख ), ४.२.८०( भिल्लराज द्वारा पार्वती के समान सिंह पर आरूढ कन्या का विवाह मित्र वसुदत्त से कराने का वृत्तान्त ) paarvatee/ parvati